मप्र निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण का मामला
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मामले में मप्र सरकार से आरक्षण से संबंधित डाटा मांगा है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दो बजे सुनवाई करेगा। मप्र सरकार ने कहा प्रदेश में ओबीसी आरक्षण संबंधित डेटा का फाइनल प्रारूप तैयार करने में पखवाड़ा तो लग ही जाएगा। उम्मीद है कि आंकड़ों को तुलनात्मक अध्ययन के साथ 25 मई तक तैयार कर लिया जाएगा। लिहाजा सरकार को थोड़ा समय दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मप्र में पिछले 2 साल से 23 हजार पंचायत सीटें खाली होने पर हैरानी जताई। कोर्ट ने संकेत दिया कि मध्य प्रदेश सरकार के संकलित आंकड़े और सर्वेक्षण अगर पूरे और संतोषजनक नहीं होने पर वहां भी महाराष्ट्र के लिए तय व्यवस्था के आधार पर चुनाव होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम हैरान हैं कि मध्य प्रदेश में बिना किसी प्रतिनिधि के पंचायतों के 23,000 पद खाली हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि जल्द ही सरकार इस मामले में संबंधित डाटा एकत्र करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से शुक्रवार को ही डाटा संबंधित तमाम दस्तावेज भी तलब किए हैं।
ओबीसी आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण देने की नीति लागू करने से पहले ट्रिपल टेस्ट यानी तीन कसौटियों पर कसना जरूरी होगा। कोर्ट ने कहा कि तीनों टेस्ट की रिपोर्ट सकारात्मक आने के बाद ही ओबीसी को आरक्षण दिया जा सकता है। तीन टेस्ट में आयोग बनाने, पिछड़ेपन का विस्तृत डाटा, पिछड़ी जातियों का कुल आबादी में अनुपात और समानुपातिक प्रतिनिधित्व का आधार शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को ये निर्देश भी दिया था कि राज्य में 2448 स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की तैयारी करे। पहले की ही तरह चुनाव कराने के लिए दो हफ्ते में अधिसूचना जारी की जाए। यानी ये साफ हो गया है कि महाराष्ट्र में परिसीमन की प्रक्रिया हफ्ते भर में पूरी नहीं होने की स्थिति में ओबीसी के लिए आरक्षण के बगैर ही स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे।