कारम बांध को आखिरकार फोड़ना ही पड़ा
इंदौर । सारे प्रयास करने के बाद भी कारम बांध के रिसाव को रोकने में अधिकारियों और सरकार की कोई भी युक्ति सफल नहीं हुई। 18 गांव की 22000 की आबादी को बचाने के लिए बांध को जगह जगह से तोड़कर, पानी निकाल कर खतरे को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। 6 पोकलेन मशीने लगाकर बांध के किनारे अस्थाई नहरें बनाई गई हैं।उससे बांध का पानी बाहर निकाला जा रहा है।
जनता की गाढ़ी कमाई को किस तरह लूटा जाता है। यह सबके सामने आ गया है। 305 करोड रुपए की लागत से बनने वाले बांध में ठेकेदार ने काम पूरा होने के पहले ही 93 करोड़ की रिश्वत बाँट दी थी। अभी बांध का काम चल रहा है। इसका मतलब यह है कि अभी रिश्वत का पैसा ठेकेदार को देना पड़ रहा था। जिसके कारण कच्चे-पक्के बांध में सरकार के जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स और कर्ज की राशि का पैसा खर्च हो रहा है। वही राजनेताओं और अधिकारियों की कमाई हो रही है।चर्चाओं के अनुसार मध्यप्रदेश में अब जो भी ठेकेदार काम कर रहे हैं उन्हें 30 से 50 फ़ीसदी तक रिश्वत में पैसा खर्च करना होता है। अन्यथा उन्हें मध्यप्रदेश में कोई काम नहीं मिलता। अधिकारियों, राजनेताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकारी धन की लूट हो रही है। वहीं आम आदमियों की जान जोखिम में बनी रहती है।
अभी भी, यह गठजोड़ एक दूसरे को बचाने में लगा हुआ है। कहा जा रहा है कि बांध निर्माणाधीन था। ऐसी स्थिति में इसे क्यों पूरा भरा गया। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। जल स्तर जब बढ़ने लगा था, तो बांध में नहर के लिए बनाए गए बाल्ब क्यों नहीं खोले गए। भ्रष्टाचार के बारे में जो तथ्य ईडी के द्वारा उजागर किए गए थे। उन पर अभी तक सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। इसको लेकर सभी ने चुप्पी साध रखी है।