पूरे देश में लागू होगा इंदौर का सिटी ट्रांसपोर्ट मॉडल
इंदौर । पब्लिक ट्रांसपोर्ट मॉडल इंदौर के लिए केंद्र सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपये की योजना बनाई है, जिसका ड्राफ्ट फाइनल हो चुका है। पीएमओ की मंजूरी के बाद जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा। योजना के तहत 108 शहरों को 100-100 बसों के लिए फंड दिया जाएगा। इसके पहले सरकार बसें खरीदने के लिए राशि देती थी, जबकि इस बार इंदौर के मॉडल को आदर्श मानते हुए ऑपरेशन कॉस्ट में होने वाले घाटे की राशि का वहन सरकार करेगी। शहर के लिए गर्व की बात है कि भारत सरकार के सचिव मनोज जोशी और अपर सचिव डॉ. सुरेंद्र बागड़े ने इंदौर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट मॉडल की स्टडी की। साथ ही विस्तृत रूप से मॉडल को समझा। साल 2006 में इंदौर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था संभालने के लिए अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेस (एआईसीटीएसएल) का गठन किया गया था। कंपनी की ओर से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर बसें चलाई जा रही हैं। सिस्टम पर लोगों के भरोसे का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि साल 2012 में जहां 40 हजार लोग यात्रा करते थे, आज यह संख्या ढाई लाख को पार कर चुकी है। 400 सीएनजी बसों के लिए तैयार किए मॉडल में एआईसीटीएसएल प्रति बस प्रति किमी 90 पैसे की आमदनी कर रहा है। भारत सरकार के अपर सचिव डॉ. सुरेंद्र बागड़े का कहना है, 108 शहरों को नई बसें देने की स्कीम का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू करेंगे।
एआईसीटीएसएल ने बस संचालन और रेवेन्यू कलेक्शन के लिए दो अलग-अलग एजेंसी नियुक्त कर रखी हैं। बस ऑपरेटर के रेट फिक्स कर दिए गए कि उन्हें प्रति किमी बस चलाने के लिए प्रति किमी 31.50 रुपये देंगे। टिकट कलेक्शन के लिए एजेंसी से 32.40 रुपये प्रति किमी लिए जा रहे हैं। इससे एआईसीटीएसएल को सात साल में 16.32 करोड़ का मुनाफा होगा।
अहमदाबाद में 950 बसें चल रही हैं, जिनमें 5.50 लाख लोग प्रतिदिन यात्रा कर रहे हैं। इसमें सालाना 340 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। जयपुर में 300 बसें संचालित कर रहे हैं। प्रतिदिन 2.20 लाख यात्री सफर करते हैं। यहां कंपनी को 90 करोड़ रुपये सालाना घाटा हो रहा है। भोपाल में 317 बसें हैं। यहां इसमें बसों से होने वाले घाटे का भार ऑपरेटर पर ही है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया, यह सही है कि भारत सरकार के सचिव और अपर सचिव ने इंदौर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट मॉडल की स्टडी की है। हमें बस संचालन में मुनाफा ही हो रहा है। एआईसीटीएसएल के संचालन में निगम का कोई खर्च नहीं आता। यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए इस बार के बजट में 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा।