भारत की सैन्य क्षमता लगातार मजबूत हो रही है। देश के स्वदेशी हल्के टैंक ने सटीकता के साथ 4,200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर विभिन्न दूरी पर कई राउंड फायर करके कीर्तिमान रचा है।
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सेना की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बनाया गया यह टैंक रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के पथ पर बढ़ते भारत की शक्ति का प्रमाण है। इसका वजन सिर्फ 25 टन है, जो टी-90 जैसे भारी टैंकों का आधा है। इससे पहले इस टैंक का सितंबर में रेगिस्तानी वातावरण में परीक्षण किया गया था।

कई राउंड फायरिंग कर बड़ी उपलब्धि हासिल की
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और प्राइवेट कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) ने इस टैंक को विकसित किया है। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, भारतीय हल्के टैंक ने 4200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर लगातार सटीक परिणामों के साथ विभिन्न रेंजों पर कई राउंड फायरिंग कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टैंक के सफल परीक्षणों पर डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन), थलसेना, वायुसेना और एलएंडटी को बधाई दी है।

चीन ने इस क्षेत्र में इसी तरह के टैंकों को तैनात कर रखा है
डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने एलएंडटी सहित पूरी टीम को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी। भारतीय सेना 350 से अधिक हल्के टैंक तैनात करने पर विचार कर रही है। इनमें से अधिकतर टैंकों को अधिकतर को पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। चीन ने इस क्षेत्र में इसी तरह के टैंकों को तैनात कर रखा है।

सुखोई-30 लड़ाकू विमानों और के-9 होवित्जर के लिए परियोजनाओं को मंजूरी
रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया मुहिम के तहत सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने गुरुवार को वायु सेना के लिए 12 सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमानों और सेना के लिए 100 के-9 वज्र स्वचालित होवित्जर के लिए दो बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। इन दोनों परियोजनाओं पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि दोनों परियोजनाओं को सीसीएस द्वारा मंजूरी दे दी गई है और सुखोई-30 एमकेआइ जेट के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। वायु सेना के लिए 12 एसयू-30 एमकेआइ जेट विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा उसके नासिक संयंत्र में किया जाएगा और इसकी लागत लगभग 13 हजार करोड़ रुपये होगी। ये उन विमानों का स्थान लेंगे जो पिछले कई वर्षों में नष्ट हो गए हैं। गुजरात के हजीरा संयंत्र में लार्सन एंड टूब्रो 100 के-9 स्वचालित होवित्जर बनाएगी।

लार्सन एंड टूब्रो को इन तोपों का दोबारा आर्डर मिला
लार्सन एंड टूब्रो को इन तोपों का दोबारा आर्डर मिला है। 100 तोपों को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है। कंपनी ने होवित्जर में स्वदेशी उपकरणों को बढ़ा दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो को मिली दो परियोजनाओं से उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में छोटे और मध्यम फर्मों को भी मजबूती मिलने की उम्मीद है। होवित्जर तोपों को रेगिस्तानी क्षेत्र के साथ-साथ लद्दाख इलाके में चीनी सीमा पर भी तैनात किया जाता है।