इंटरनेट पर यौन सामग्री व आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर जताई नाराजगी
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन सामग्री और इंटरनेट पर मौजूद आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर नाराजगी जाहिर की है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सर्च इंजनों को जल्द से जल्द आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि इस तरह की सामग्री हटाए जाने के आदेश के बावजूद यदि सामने आती है तो इसे तत्काल हटाना होगा और किसी पीड़ित को इसे हटवाने के लिए फिर से अदालत में न आना पड़े। इसके लिए वे पीछे न हटें। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार को नियंत्रित कर पाना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि यह सर्च इंजन की जिम्मेदारी है कि आपत्तिजनक सामग्री तक पहुंच पर तत्काल रोक लगे। यह देखते हुए कि इंटरनेट कभी नहीं भूलता, न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि एक बार ऐसी सामग्री इंटरनेट पर अपलोड हो जाने के बाद यह तेजी से वायरल होती है और इसे रोक पाना मुश्किल हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि सर्च इंजन आपत्तिजनक कंटेंट ना हटाने को लेकर पीछे नहीं हट सकता है।
यह निर्देश अदालत ने एक महिला की ओर से दायर एक याचिका के बदले पारित किये। याचिमा में केंद्र से छद्म नामों के तहत अश्लील साइटों के रूप में काम करने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने के साथ-साथ साइटों पर दिखाई देने वाली उसकी यौन रूप से स्पष्ट, छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को ब्लॉक करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। एकल पीठ के 11-सूत्रीय निर्देशों और सिफारिशों में ऐसी पार्टी की ओर से एक सीलबंद कवर में हलफनामा दाखिल करना शामिल है, जिसमें विशिष्ट ऑडियो, विज़ुअल इमेज और प्रमुख शब्दों की पहचान की गई है, जिनके खिलाफ शिकायत की गई है। कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में शिकायतकर्ता के लिए एक स्टेटस ट्रैकर होना चाहिए और ऐसी जानकारी प्राप्त होने पर दिल्ली पुलिस को अपराधियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर जांच और गिरफ्तारी करनी चाहिए।