यूक्रेन युद्ध के बीच चीन के करीब आने की कोशिश में ईयू
नयी दिल्ली । मानवाधिकार उल्लंघन के मसले पर गत साल स्थगित हुआ यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन का शिखर सम्मेलन आखिरकार इस शुक्रवार को आयोजित होने वाला है। ऐसा माना जा रहा है कि इस शिखर सम्मेलन का मुख्य मुद्दा यूक्रेन संकट ही होगा। ईयू-चीन शिखर सम्मेलन शिनजिंग में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों और लिथुआनिया के चीन के साथ बदतर होते राजनयिक संबंधों की कड़वाहट के कारण गत साल स्थगित कर दिया गया था। ईयू और चीन के रिश्तों के बिगड़ने का सबसे बड़ा परिणाम द्विपक्षीय व्यापार समझौता यानी व्यापक निवेश समझौते के ठंडे बस्ते में जाने के रूप में सामने आया था।
रूस के यूक्रेन पर हमले ने लेकिन पूरी परिस्थिति बदल दी है। अब ईयू चाहता है कि चीन यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करे लेकिन अब तक चीन ने इस मामले में ईयू के सामने घुटने नहीं टेके हैं। चीन इस पूरी परिस्थिति में अपना पक्ष स्वतंत्र रूप से सामने रखना पसंद करता है और साथ ही रूस के साथ उसके करीबी रिश्ते हैं।
जेएनयू में सेंटर फॉर यूरोपीयन स्टडीज के प्रोफेसर गुलशन सचदेवा ने इंडिया नैरेटिव को कहा कि यह शिखर सम्मेलन चूंकि यूरोप में जारी युद्ध की पृष्ठभूमि में हो रहा है इसी कारण ईयू का राजनीतिक बयान संभवत: अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता पर आधारित होगा।
प्रोफेसर सचदेवा ने कहा,''ईयू साथ ही चाहेगा कि आर्थिक प्रतिबंधों को कम प्रभावी करने में चीन रूस की मदद न करे।'' यह बताना अभी जल्दबाजी होगा कि चीन किस हद तक यूरोपीय संघ की बातों को मानता है। चीन को अपने दरवाजे पर भले ही युद्ध की दस्तक सुनाई दे रही हो लेकिन वह ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये रूस पर निर्भर है।
ईयू की चीन के प्रति बदली राय का पता चीन में ईयू के राजदूत के बयान से भी चलता है। राजदूत निकोलस चैपिस ने हाल में कहा है कि बैठक में ईयू का ध्यान चीन से अधिकाधिक सहयोग लेने पर होगा ताकि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने में यूरोप की मदद की जा सके।
यूक्रेन इस सम्मेलन का मुख्य मुद्दा होगा लेकिन अन्य मसलों का क्या होगा जो दोनों पक्षों के बिगड़ रहे राजनयिक संबंधों और व्यापार समझौते को पटरी पर ला सकें?
प्रोफेसर सचदेवा ने कहा कि इस सम्मेलन में कोई बड़ी बात होने की संभावना बहुत कम है लेकिन निवेश समझौते को आगे बढ़ाने के बारे में गंभीर चर्चा की जा सकती है।
पिछले दो साल से चीन और ईयू के संबंधों की खींचतान जारी है लेकिन इसी बीच चीन ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक समझौता कर लिया है। यह समझौता सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते में से एक माना जाता है। इस कारण चीन ईयू के साथ व्यापार समझौते पर ज्यादा जोर नहीं भी दे सकता है।
इसी बीच चीन ने यूरोप के सबसे बड़े व्यापार साझेदार के रूप में वर्ष 2021 में अमेरिका को पछाड़ दिया है। ईयू की ट्रेड वेबसाइट के मुताबिक वर्ष 2021 में चीन ने ईयू में सर्वाधिक आयात-निर्यात किया। चीन ने गत साल ईयू से 22.4 फीसदी आयात किया और उसे 10.2 प्रतिशत निर्यात किया। इस तरह के मजबूत व्यापारिक संबंधों के मद्देनजर दोनों पक्ष संघर्ष और अनिश्चितता के दौर में फूंक-फूंक कर कदम रखेंगे।