आर्थिक अपराध विंग (EOW) ने छत्‍तीसगढ़ के बहुचर्चित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले का कोर्ट में 10,000 पन्नों का आरोप पत्र पेश किया। जिसमें तीन चरणों में इस पूरे घोटाले को अंजाम देने का जिक्र किया गया है। पहले चरण में शराब के दामों में बढ़ोतरी, दूसरे में नकली होलोग्राम का उपयोग और तीसरे चरण में पूरी राशि की वसूली से लेकर हवाला के जरिये विदेशी कंपनियों में निवेश का ब्योरा है।

आरोप पत्र में सीएसएमसीएल के तत्कालीन प्रबंध संचालक एपी त्रिपाठी, अनवर ढेबर सहित कई शराब कारोबारियों और आबकारी अधिकारियों के भी नाम भी हैं। इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस भी सुबूत के तौर पर प्रस्तुत किए गए हैं। ईओडब्ल्यू के अफसर 12 पैकेट में दस्तावेज लेकर कोर्ट पहुंचे थे। ईडी ने भी पिछले महीने 10 हजार पन्नों का आरोप पत्र प्रस्तुत किया है।

ईओडब्ल्यू ने दावा किया है कि सिंडिकेट ने देसी शराब डिस्टलरी के मालिकों से शराब के रेट बढ़ाने से प्राप्त कमीशन, समानांतर नकली शराब निर्माण, आपूर्ति और वार्षिक क्षेत्रवार कमीशन के रूप में फरवरी 2019 से 2023 तक करीब 1,660 करोड़ की अवैध कमाई की। इससे अनवर ढेबर ने परिवार के अख्तर ढेबर, उमेर ढेबर, जुनैद ढेबर, करिश्मा ढेबर के नाम पर बनाई गई तीन कंपनियों में 35 करोड़ निवेश किए।

आरोप पत्र में कहा गया है कि डुप्लीकेट होलोग्राम लगी शराब की आपूर्ति में कई अधिकारियों ने साथ दिया। मुख्य भूमिका त्रिपाठी ने निभाई। शराब कंपनी व डिस्टलरी मालिकों के साथ अनवर के होटल वैनिंगटन में बैठक कर शराब की दर में बढ़ोत्तरी के एवज में कमीशन देने का दबाव बनाया।

2019 के शुरुआती महीने में बैठक में भाटिया वाइंस से भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया, प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल, हीरालाल जायसवाल, नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे। यहां त्रिपाठी व अरविंद सिंह ने वार्षिक कमीशन लेना शुरू किया।