भारत से युद्ध सिर्फ पाकिस्तान को नहीं, अरब देशों को भी पड़ेगा भारी – बड़ी चेतावनी!

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा तनाव किसी भी वक्त एक बड़े युद्ध का रूप ले सकता है. ये तनाव आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान के भविष्य के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि दुनिया के उस हिस्से की सुरक्षा के लिए भी अलार्म है, जो पहले से युद्ध की आग में झुलस रहा है.
हम बात कर रहे हैं अरब जगत की. दरअसल, गाजा युद्ध और US-इजराइल के ईरान के साथ तनाव ने अरब देशों के लिए पहले ही चिंता बढ़ा रखी है. ऐसे में पाकिस्तान का पूरी तरह से युद्ध में कूदना इन देशों की सुरक्षा के लिए भी चुनौती बन सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि पाकिस्तान अरब देशों का सैन्य सहयोगी है.
पाकिस्तान और अरब देशों के बीच रणनीतिक रिश्तों के अलावा इस्लाम आधारित सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध भी हैं. 50 से ज्यादा मुस्लिम देशों का संगठन OIC भी इन देशों के बीच रिश्ते सुधारने का काम करता है. पाकिस्तान खुद को इस्लामिक वर्ल्ड के एक प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में पेश करता है, जो अरब देशों के लिए इसे एक विश्वसनीय भागीदार बनाता है.
पाकिस्तान की सेना लगभग 22 अरब देशों में मौजूद है. जहां पाक सैन्य अधिकारी प्रशिक्षण और रणनीतिक परामर्श की भूमिका में रहते हैं. ईरान, यमन के हूती विद्रोही और ISIS जैसे आतंकी संगठनों से खतरे की वजह से खाड़ी देशों को एक विश्वसनीय सैन्य सहयोगी की जरूरत है और पाकिस्तान की सेना इसमें उनका साथ देती है.
अरब देशों की पाकिस्तान पर निर्भरता
अरब देशों के पास जो सेना है उसके पास किसी जंग या बड़े आतंकी ऑपरेशन से निपटने का अनुभव न के बराबर है. ऐसे में ये देश अपने यहां विद्रोह प्रदर्शन या इजराइल और ईरान से आने वाले भविष्य के खतरों से निपटने के लिए पाक सेना पर निर्भर हैं.
यही नहीं पाकिस्तान अमेरिका का भी सुरक्षा सहयोगी है और उसकी सेना का अरब में होना वाशिंगटन की पॉलिसी का भी एक हिस्सा है. पाकिस्तान एकमात्र इस्लामी देश है जो परमाणु हथियारों से लैस है. जिसे सऊदी अरब जैसे देश रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं, विशेष रूप से ईरान के साथ क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता होने के कारण ये और अहम बन जाता है.
अरब देश क्यों नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान जंग में पड़े?
अरब देश इस नाजुक समय में कभी नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान किसी जंग से अस्थिर हो जाए. क्योंकि मध्य पूर्व में इजराइल के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं. दूसरी तरफ ईरान ने सीधे तौर पर धमकी दी है कि अगर उस पर अमेरिकी और इजराइली हमलों के लिए अरब देशों ने अपने क्षेत्र का इस्तेमाल होने दिया, तो वह अपनी मिसाइल इजराइल के साथ-साथ इन देशों पर भी दागेगा.
ऐसे में पाकिस्तान की सेना का कमजोर होने का सीधा मतलब है- अरब देशों की सुरक्षा कमजोर होना. पाकिस्तान नियमित रूप से सऊदी अरब और UAE जैसे देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करता है, जो उनकी सैन्य क्षमता को बढ़ाते हैं और आपसी सहयोग को मजबूत करते है. इतिहास में भी कई बार पाकिस्तान सेना अरब देशों के लिए रीढ़ की हड्डी साबित हुई है.
भारत-पाक के बीच चल रहे तनाव पर भी सऊदी अरब, यूएई और कतर जैसे अरब देशों ने शांति की बात की है.
इतिहास में अरब देशों के लिए पाक सेना की भूमिका
पाकिस्तान सेना अरब-इजराइल युद्धों 1967 और 1973 से लेकर गल्फ वॉर 1990 में अहम भूमिका निभा चुकी है. खबरों के मुताबिक 1967 में हुए 6 दिनों के अरब इजराइल युद्ध में पाकिस्तानी वायुसेना के पायलटों ने हिस्सा लिया था. 1973 में हुए अरब इजराइल के बीच योम किप्पुर युद्ध के दौरान भी ये सहयोग देखने को मिला था.
इजराइल से ही युद्ध में नहीं पाकिस्तान सेना ने गल्फ वॉर, जो कुवैत और सद्दाम हुसैन के इराक के बीच हुई थी, उसमें भी अहम भूमिका निभाई थी. जब इराक की सेना ने कुवैत पर चढ़ाई कर दी थी, तब पाकिस्तान ने सऊदी अरब में अपने करीब 10 हजार सैनिक भेजे थे. पाकिस्तानी सैनिकों ने इराक के खिलाफ सीधे युद्ध में हिस्सा नहीं लिया था. उनकी सऊदी में ये तैनाती रक्षात्मक थी, जो सिर्फ सऊदी भूमि की सुरक्षा के लिए थी, खासकर मक्का और मदीना जैसे पवित्र शहरों के लिए.
अरब में सुन्नी-शिया लड़ाई से बचता रहा पाकिस्तान
ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान सेना ने हर समय अरब में सऊदी नेतृत्व का साथ दिया है. कई मौकों पर पाकिस्तान की सऊदी अरब के साथ करीबी ने ईरान के साथ उसके रिश्ते को तनावपूर्ण बनाया है. पाकिस्तान ईरान के साथ अपनी सीमा साझा करता है और दोनों देशों के बीच अच्छे व्यापारिक रिश्ते हैं. जिसकी वजह से पाकिस्तान ने यमन युद्ध के दौरान तटस्थता की नीति को अपनाया और सऊदी अरब का साथ नहीं दिया. हालांकि कुछ रिपोर्ट दावा करती हैं कि पाक अधिकारियों ने इस युद्ध में सऊदी सेना को गाइड करने का काम किया था.
भारत से युद्ध अरब के लिए क्यों खतरा?
भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना से हर तरीके से मजबूत नजर आती है. भारत पाकिस्तान को पहले ही युद्ध में मात देता रहा है. अगर इस बार जंग होती है, तो पाकिस्तान को एक बार फिर बड़ा नुकसान होना निश्चित माना जा रहा है जिससे उसकी सेना कमजोर हो जाएगी. अगर ऐसा होगा तो पाक सेना को इससे उभरने में सालों लग सकते हैं जिसकी वजह से अरब को सुरक्षा देना उसके लिए मुश्किल हो सकता है.
भारत पाकिस्तान युद्ध कितना बड़ा खतरा?
पहलगाम हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बनी हुई है. पूरी दुनिया इस समय एक बुरे दौर से गुजर रही है और यूक्रेन युद्ध, सुडान गृह युद्ध, इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध, चीन ताइवान तनाव और अमेरिका ईरान तनाव के चलते यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तर अमेरिका जैसे महाद्वीप किसी न किसी तरीके से संघर्ष की चपेट में हैं.
युद्ध और रक्षा जानकारों ने चिंता जताई है कि पाकिस्तान और भारत के बीच अगर युद्ध होता है, तो सबसे ज्यादा नागरिकों की मौत हो सकती है. ये आंकड़ा इतिहास में सबसे ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि ये दुनिया का सबसे ज्यादा और घनी आबादी वाला हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र भी भारत और पाकिस्तान के तनाव से बेहद चिंतित है.